सुनील कुमार झा
मैथिली पत्रकारिताक क्षेत्र मे आय एकटा नव अध्याय जुड़ि गेल अछि। कोनो भी मैथिली न्यूज पोर्टल कए लगातार 10 साल चलेबाक रिकार्ड इसमाद डॉट कॉम क भेटि गेल अछि। इ इतिहास ओहिना अछि जेना राम कए लंका पर चढ़ाई केनाय। हम लक्ष्य तक पहुंचबा लेल समुद्र पर सेतु बनेलहुं।
एहि दस सालक इतिहास मे हम सब कतेको बेर गिरलहूँ, कतेको बेर गिरायल गेलहूँ, मुदा हम सब हारि नहि मानलों। एहि बीच मैथिली मे कतेको न्यूज पोर्टल आएल, बंद भेल, बदनाम भेल, मुदा हम सब पाठक क कसौटी पर अपना कए कसैत आंगा बढ़ैत गेलहूँ आ आय 10 साल बाद हम सब एकटा नब फल्वेर मे हाजिर छी। इसमाद एखन धरि अपन शोधपरक आलेख लेल जानल जाइत अछि, मुदा आब मैथिलीक बेहतरीन साहित्य अगर अपने लोकनि कए कतहु भेटत त ओ इसमाद होएत। इसमाद आय स अपन साहित्य पेज अपने सबहक सामने राखि रहल अछि। उम्मीद करैत छी मैथिली साहित्य मे इसमाद क योगदान उल्लेखनीय भ सकत।
मैथिली पत्रकारिता का इतिहास मे इसमाद पहिल एहन संस्था अछि जे अपन विविधता लेल जानल जाएत अछि ।
1) इसमाद मैथिलीक पहिल एहन पोर्टल अछि जेकर पूरा संपादकीय भार मिथिलानीक जिम्मे मे अछि।
2) पहिल कोनो मैथिली पोर्टल अछि जेकरा पर विभिन्न विषय पर शोध-परक आलेख देल गेल अछि।
3) इसमाद पहिल मैथिली पोर्टल अछि जेकर समाद, मैथिली स हिन्दी आ अंग्रेजी मे अनुदित भए कए आन भाषा-भाषाई पोर्टल वा मैगजीन/न्यूजपेपर मे लागल अछि।
4) इसमाद मैथिली क पहिल एहन पोर्टल अछि जेकर कोनो एकटा मैथिली आलेख 11 हज़ार बेर शेयर कैल गेल अछि।
5) इसमाद एहन मैथिली पोर्टल अछि जे विभिन्न क्षेत्र क 50 स बेस गोटेक साक्षात्कार नेने अछि।
6) इसमाद एहन मैथिली पोर्टल अछि जेकर पाठक देश स बेसी विदेश मे अछि।
एतेक रास संपन्नताक बादो इसमाद कहियो कोनो अभिमान नहि केलक। हमरा कैक बेर कुचलबाक साजिश कैल गेल। कैक बेर इसमाद क साइट हैक करबाक कोशिश कैल गेल। हमरा सब पर गैर मैथिल हेबाक ठप्पा लगाओल गेल। एकरा हिन्दी–मैथिलीक साइट सिद्ध करबाक कोशिश कैल गेल। पहिल ई-पेपर हेबाक तमगा सेहो छिनबाक प्रयास कैल गेल, मुदा हम सब डटल रहलहूँ।
आ आय हम सब हाजिर छी एकटा नब क्लेवर एकटा नव फ्लेवर संगे । इसमाद मैथिली क पहिल एहन पोर्टल बनय जा रहल अछि…
1) जेकरा मे डार्क मोड रहत, यानि राति कए आराम स अहाँ खबर पढ़ि सकैत छी।
2) जिनका कम देखा पड़ैत अछि, तिनका लेल फांउट पैघ-छोट करबाक सुविधा रहत।
3) जेकर विशेष आलेख पढ़बाक शुल्क दिअ पड़त।
4) जाहि मे मैथिली क मुद्धर्न्य लेखक क साहित्यिक आलेख रहत।
5) आन भाषा मे अनुवाद क सुविधा रहत।
मैथिली लेल सेहो इ गर्वक विषय होएत। किएक त 10 साल तक कोनो गाछ मे पानि पटाकए ओकर पैघ करब बड्ड काज होएत अछि आ हम सब आब गाछ पैघ कए नेने छी। इ गाछ पैघ करबा मे कतेको गोटेक प्रत्यक्ष आ अप्रत्यक्ष योगदान रहल अछि। हम सबहक नाम त नहि गिना सकब, मुदा एतबा जरूर कहब जे इसामदक नींव ओ सब गोटे छलथि आ हुनके बदौलत मैथिलीक टुस्सी चतरि कए बड़का लत्ती बनि गेल अछि।
(लेखक इसमादक शोध संपादक छथि)