सावित्री संतोष
दिल्ली विधानसभा चुनाव नहि केवल भाषाक बदजुबानी लेल बल्कि सांप्रदायिकताक खुला प्रदर्शन लेल सेहो इतिहास मे दर्ज भ गेल। संगहि इ सेहो दर्ज भ गेल जे भारतीय समाज एखनो सांप्रदायिक, हिंसक आ अश्लील विचार कए पसंद नहि करैत अछि। भारत कम स कम दिल्ली हिंदुत्व मे बंधुत्व कए त्याग करबा स इनकार क देलक। हिंदुत्वक नागपुर मॉडल कए दिल्लीक जनता खारिज क देलक। दिल्लीक परिणाम बंधुत्व समाहित हिदुत्वक जीत छी, जे भारतक सांस्कृतिक पहचान रहल अछि। इ चुनाव अरविंद केजरीवालक विश्वसनीयता या हुनकर काजक समीक्षा स बेसी भारतक छवि, भारतक संस्कृति आ भारतक संस्कारक ऊपर एकटा जनमत संग्रह छल। ताहि लेल इ चुनाव बेसी गंभीर आ महत्वपूर्ण भ गेल छल। भाजपाक सांप्रदायिक, हिंसक आ अश्लील प्रचार क खिलाफ इ जनादेश भारतीय राजनीतिक इतिहास मे बेहद महत्वपूर्ण मानल जायत।
अमित शाह आ नरेंद्र मोदी लेल इ निजी झटका सेहो अछि। किया त इ दूनू नेता साम, दाम, दंड, भेद किछु नहि छोडलथि। चुनावी राजनीतिक इतिहास मे कोनो एहन अस्त्र नहि रहल जे एहि चुनाव मे उपयोग नहि भेल। इ दूनू जे क सकैत छलाह, सबटा केलथि। एकर अंदाजा हिनकर सेना स लगा सकैत छी। पीएम नरेंद्र मोदी, 6 राज्यक सीएम, केंद्रीय मंत्री और सांसद समेत 100टा स बेसी केंद्रीय स्तरक नेता 70 टा सीट जीतबा लेल मैदान मे उतरल छलाह। पीएम नरेंद्र मोदी 2टा रैली केलथि, एकर अलावा भाजपा 4500 हजार नुक्कड़ नाटक केलक, केंद्रीय मंत्री आ सांसद भोर स राति तक जनसंपर्क करैत रहलथि। अमित शाह सन नेता घर घर परचा बांटैत रहलथि, लेकिन किछु काज नहि आयल। जीत केवल 8टा सीट पर भेल। पिछला बेर स 5टा सीट बेसी। संतोष लेल इ कहल जा सकैत अछि भाजपा एहि चुनाव मे नेता प्रतिपक्षक पद जीत लेलक आ 70 सीटक सदन में 10 फीसदी स बेसी सीट हासिल केलक अछि जे पिछला बेर नहि हासिल क चुकल छल। त एतबा सब किछु मात्र 8टा सीट लेल, कदापि नहि। जाहि लेल इ सब कैल गेल ओहि मे भाजपा कए किछु नहि भेटल आ एहि चुनावक असली परिणाम वैह अछि जे भारत अपन चाल, चरित्र आ चेहरा बदलबा लेल तैयार नहि अछि। नागपुरक हिंदुत्व भारत क हिदुत्व स हारि गेल।
नागपुरक हिंदुत्व कए जीतेबा लेल भाजपा प्रचार कए एकटा कारपेट बौंमिग जेका इस्तेमाल केलक और रिकार्ड सभा केलक। अमित शाह शाहीनबागक बहाने सांप्रदायिक प्रचारक नेतृत्व केलथि. ओ कहला जे इवीएमक बटन एतबा जोर स दबाउ जे करंट शाहीनबाग तक पहुंचे. उत्तरप्रदेशक मुख्यमंत्री आदित्यनाथक चुनाव प्रचार त सबटा सीमा कए तोडि देलक। गोली मारबाक गप चुनावी राजनतिक इतिहास मे संभवत: पहिल बेर भेल। दुनियाक सबस पैघ लोकतंत्र मे सबस पैघ राज्यक मुख्यमंत्री सबस छोट राज्यक चुनाव मे वोट नहि देनिहार कए गोली मारबाक गप केलथि। पहिल बेर सुनबा पर विश्वास नहि होइ जोकर इ बयान बेर बेर देल गेल। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर त नारा लगबा देलथि। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर त मानू बचल खुचल पूर्ति क देलथि। ओ अरविंद केजरीवाल कए आतंकवादी बता देलथि। सांसद प्रवेश वर्मा शाहीनबागक लोक कए बलात्कारी बता देलथि। वर्मा कहला जे शाहीनबाग मे जे लोक धरना पर अछि, वो अहांक घुस कए बलात्कार करताह। भाजपा नेता प्रचारक दौरान की की नहि बेजलाह। जेकर कल्पना तक करब पहिने असंभव छल। कपिल मिश्रा त एहि चुनाव कए भारत आ पाकिस्तान क बीच चुनाव करार द देलथि। मतलब जेकरा जे मन मे आयल बजैत गेल। नहि कोनो आचार रहल नहि कोनो विचार रहल।
इ त भेल नेता क भाषा आ भाषण, मुदा दिल्ली चुनाव मे केवल जुबानक गोली नहि चलल। जेएनयू मे लाठी चलल त जामिया मे फायरिंग भेल। शाहीनबाग मे गुंजा कए बुरका मे कोनो हिंसक साजिश रचबा स पहिने पकडि गेल। मुदा सबसे घृणित रहल गार्गी कॉलेजक घटना। ओहि ठाम भाजपाक समर्थक जयश्री रामक नारा लगबैत जे किछु भारतक बेटी संग कैलक ओ सभ्य समाज मे सोचल नहि जा सकैत अछि। भारतीय लोकतंत्र मे एहनो होएत तेकर कल्पना मुश्किल अछि। ओ बेहद शर्मनाक रहल, मुदा ताहि स बेसी शर्मनाक रहल ओहि घटना पर गृहमंत्री अमित शाहक खामोशी। नागपुरक हिंदुत्व मॉडल अगर एहन अछि त एकर हारब जरुरी छल। गार्गी कालेज क घटना भाजपा नेतृत्व पर एकटा कारि धब्बा अछि। बेटी बचेबाक नारा देनिहार भाजपा नेतृत्व बेटीक संग सामूहिक दुराचार करैत अपन समर्थक पर कोनो टिप्प्णी तक नहि केलक। ताहि लेल भाजपा जाहि स्तर पर आबि कए इ चुनाव लडलक, ओहि मे केजरीक जीत महत्वपूर्ण नहि बल्कि नागपुरक हारि महत्वपूर्ण भ जाइत अछि।
इ सच अछि जे अरविंद केजरीवाल लगातार तेसर बेर दिल्ली क मुख्यमंत्रीक शपथ लेताह या शिक्षा और सेहत के क्षेत्र मे हुनकर सरकार दिस स कैल गेल काज पर हुनका लोक वोट देलक अछि। निश्चित रूप स केजारीवालक काज आ हुनकर विश्वसनीयता लोक मे उच्च्तर स्तर पर रहल, ताहि लेल भाजपाक अपन सबटा बुद्धि आ हथियार क प्रयोग केलाक बावजूद केजरीवाल कए नहि हरा सकल। मुदा आम आदमी पार्टी कए एंटी इंकैबनेसी क सामना करै पडल अछि। ओकर चारिटा विधायक कम भ गेल। आम आदमी पार्टी अपन सीट आ अपन वोट प्रतिशत नहि बढा सकल। एहि चुनावक बाद आम आदमी पार्टी लेल सेहो इ सबक अछि जे ओ आत्म मूल्यांकन करे ले ओकर भरेसेमंद साथी कोना हारि गेलाह। पांचटा सीट पर जनता ओकर संग किया छोडि देलक।
हालांकि भारतीय राजनीति एखन सांप्रदायिक ध्रुवीकरण स मुक्त होइत नहि देखा रहल अछि, मुदा बिहार आ बंगाल मे माहौल खराब करबा स पहिने आब भाजपा नेतृत्व विचार करत। भाजपाक आधार समर्थन टूटल नहि, मुदा दिल्लीक परिणाम इ संदेश देलक जे आम जनता भाजपाक सांप्रदायिक रुझान कए खारिजक देलक। दिल्लीक वोटर राममंदिर, 370 आ नागरिकता कानून क प्रभाव स बाहर निकलि कए सकारात्मक मतदान केलक। देश मे जाहि तरहक आर्थिक हालात अछि, शिक्षा और स्वास्थ्यक निजीकरण भ रहल अछि, एहन मे दिल्ली परिणाम ओहू पर संदेश दैत अछि. मुदा सबस पैघ संदेश इ रहल जे भारत जीत गेल..भारत कए हरेबाक सबटा प्रयास विफल रहल।