कविता : मतिनाथ मिश्रक प्रलय काल
कोश कोशक दूर बाधक- बीच कोशिक बाढ़ि देखल, प्रकृति जनु छलि आवि सूतलि रजत अम्बर ओढ़ि निश्चल। दूर क्षितिजक बिन्दु ...
Read moreकोश कोशक दूर बाधक- बीच कोशिक बाढ़ि देखल, प्रकृति जनु छलि आवि सूतलि रजत अम्बर ओढ़ि निश्चल। दूर क्षितिजक बिन्दु ...
Read moreकियै छै ,यौ? भ्रमण कैलों हैं विश्व भरि प्रभु, प्रतिभाक लोहा भी मनवैलिये यौ! चक्रव्यूह में आइखन अभिमन्यु नै, सत्तर ...
Read moreमैथिली फिल्म अकादमी दरभंगा क मांग पर सांसद गोपाल जी ठाकुर लोकसभा मे डीडी मिथिला क उठेलथि मांग नयी दिल्ली। ...
Read moreजानकी दाय, सीतानाथ बाबू के पत्नी, अपन गृहस्थी सुखपूर्वक चला रहल छथि ।मुँह पर हरदम संतुष्टि आ सेक्शन आफिसर के ...
Read moreपूर्णियाँ जाई वाली बस में अपन सीट लग सामान सब सरिया के, पत्नी के सीट पर बैसा के अपने पान ...
Read moreआजादी असलियत मे उतरल मिथिला मे कि बलजुमरी थोपल गेल? ओइ दिन पुछने रहथि जगदेव मंडल गिदबास-निवासी हमर मित्र, जिनकर ...
Read moreयौ महापराक्रमी पांडव गदाधारी भीम ! सखी -समुदाय पूछैए जे हम इंद्रप्रस्थक राजप्रासाद मे कियै नै रहै छी, कियै बौआइत ...
Read moreआब आओर कतेक प्रतीक्षा? कोमल कुसुम सन कोपल, भई कठोर वट विशाल! आब और कतेक प्रतीक्षा? पंछी पखेरू जो उड़े ...
Read moreपन्द्रह अगस्त सैंतालिस कें देश भेल छल आजाद मध्य राति मे फहरायल तिरंगा, प्रसारित भेल भाषण मुदा, ओइ दिन दूटा ...
Read moreमोन के कहलियै उठु ने , किछ परिश्रम करु ने किछ खोजि क आनि दिय कतेक दिन भ गेल किछ ...
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